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हरियाणा में एमएसएमई सौर ऊर्जा को अपनाने के लिए चुनौतियों का सामना कर रही हैं

भारत में लगभग 6.4 करोड़ छोटे व्यवसाय समुदाय हैं, जो भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी है। यह 11 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करते है एवं सरल घरेलू उत्पादमें लगभग एक तिहाई योगदान करते है। इस लेख के माध्यम से एमएसएमई में अक्षय ऊर्जा के विकास तथा उसके महत्व पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, ऐसी स्थिति में जब कोविड -19 प्रतिबंधों के आर्थिक प्रभाव से एमएसएमई समुदाय कमजोर पड़ गया है, और बदलती हुई वास्तविकता से उबरने के नए तरीके खोज रहा है।

पिछले नवंबर, COP26 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लिए 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) के 500 गीगावॉट का लक्ष्य रखा है और साथ ही 2070 तक शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है जीसे पाने के लिए हम लगातार आगे बढ़ रहे हैं। पिछले साल, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी जी ने 'आत्मनिर्भर भारत - सौर और एमएसएमई में अवसर' नामक एक ऑनलाइन कार्यक्रम में एमएसएमई की अप्रयुक्त रूफटॉप सौर उत्पादन क्षमता पर प्रकाश डाला। अक्षय ऊर्जा को अपनाने के लिए देश के एमएसएमई समूह से भागीदारी की आवश्यकता है। लेकिन देश के एमएसएमई चुनौतियों में उलझे हैं- वित्त की कमी, दीर्घकालिक लाभप्रदता की कठिनाइयां, प्रतिस्पर्धा और व्यवसायिक क्षेत्र का स्थायित्व कुछ उदाहरण हैं। छोटे व्यवसाय अक्सर सरकार की रूफटॉप सौर योजनाओं, वित्तपोषण विकल्पों और नवीकरणीय प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे से परिचित नहीं हैं। सोलर रूफटॉप जागरूकता कि एक सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि कागज, कपड़ा और फार्मा उद्योगों के 75 प्रतिशत से अधिक छोटे व्यवसाय किसी भी योजना से अपरिचित हैं

विकासशील भारत खुद को स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने की दिशा में प्रेरित करता रहा है और 2030 तक 500 GW का अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य निर्धारित करा है| हालांकि यह लक्ष्य बहुत महत्वाकांक्षी है, लेकिन इस तथ्य को बताते हुए कि 2002 में नवीकरणीय ऊर्जा का प्रतिशत सिर्फ 2% था जो 2010 में बढ़कर 10.90% हो गया और दिसंबर 2021 में 38.48% हो गया, इस गति को जारी रखने पर लक्ष्य आसानी से प्राप्त किया जा सकता है| इसमें बडा योगदान दक्षिणी राज्यों का रहा है और उत्तरी राज्यो ने भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है लेकिन अपेक्षाकृत थोडे पीछे रहे हैं। नीचे दिया गया चार्ट सौर रूफटॉप लक्ष्यों का 2022 राज्यवार तुलनात्मक विश्लेषण और अगस्त 2021 तक की गई उपलब्धि प्रदर्शित कर रहा है। इसके साथ ही प्रत्येक राज्य में मौजूद एमएसएमई को भी प्रस्तुत किया गया है।

सौर ऊर्जा का विकास करने के लिए, हरियाणा ने 2021 की अनुबंधित सौर नीति के माध्यम से 50 kW (किलोवाट) और उससे अधिक के कनेक्टेड लोड वाले सभी वाणिज्यिक परिसरों, कार्यालयों, मॉल्स आदि (मौजूदा और साथ ही नई इमारतों) के लिए रूफटॉप सौर को अनिवार्य बनाने सहित कई बदलावों का वादा किया है ताकि वे सौर ऊर्जा के अपने कनेक्टेड लोड की 3% से 5% क्षमता स्थापित कर सकें। इसके साथ ही, रूफटॉप सौर परियोजनाओं के लिए विद्युत कर, विद्युत शुल्क, व्हीलिंग प्रभार, क्रॉस सब्सिडी प्रभार, पारेषण और वितरण प्रभार को पूरी तरह से माफ कर दिया जाएगा और रूफटॉप सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के लिए भवन योजना मंजूरी प्राधिकरण से किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी। इसके अलावा, 1 से 2 मेगावाट की सीमा में रूफटॉप सौर संयंत्रों की स्थापना के लिए, 25% बैटरी सिस्टम का अधिदेश होगा। हालांकि, यह योजना अभी तक उपलब्ध नहीं है और अंतिम नीति अभी भी लंबित है। इसी तरह, हरियाणा सरकार नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने के लिए प्राप्त किसी भी ऋण के लिए ब्याज दरों पर सब्सिडी प्रदान करने के लिए एक नीति लेकर आई। और इसके लिए अधिसूचना दिसंबर 2020 से है तथा 2024 तक इसकी वैधता है|

सौर मॉड्यूल की लागत में भारी गिरावट ने इस क्षेत्र के सबसे तेजी से बढ़ते ऊर्जा स्रोत के रूप में वृद्धि को प्रेरित किया है। लेकिन पिछले दशक में 90% की गिरावट के बाद, 2021 की शुरुआत से सौर मॉड्यूल की कीमतों में 20% की वृद्धि हुई है। सरकार ने 1 अप्रैल 2022 से सौर मॉड्यूल पर 40 प्रतिशत मूल सीमा शुल्क और सौर कोशिकाओं पर 25 प्रतिशत मूल सीमा शुल्क लगा दी है । लागत अर्थव्यवस्था में वृद्धि होने से एवम कोविद 19 की वजह से एमएसएमई समूह पहले से ही घाटे से जूझ रही है।इन बढ़ती दरों के कारण सौर ऊर्जा को अपनाने में बाधाएं आ सकती है।

इन चुनौतियों के बावजूद, एमएसएमई स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को अपनाने में रुचि रखते हैं, लेकिन जैसा कि उल्लेख किया गया है, उनके पास वित्तीय और तकनीकी ज्ञान की कमी है। सरकार ने इस दिशा में कुछ कदम उठाए हैं, ऐसी नीतियों की आवश्यकता है जो एमएसएमई द्वारा स्वच्छ ऊर्जा अपनाने को बजटीय आवंटन और नीतियों के हिस्से के रूप में एकीकृत करती हैं।

रियायती ऋण की मौजूदा/नई लाइनों के भीतर एमएसएमई-आधारित पोर्टफोलियो को सहारा देने, एमएसएमई मंत्रालय द्वारा समर्थित समर्पित योजनाओं और एकीकरण का समर्थन करने के लिए विनियामक परिवर्तनों सहित नीतिगत मोर्चे पर कई बदलावों की आवश्यकता है ताकि एमएसएमई अक्षय ऊर्जा को अपनाने की दिशा में नेतृत्व कर सके। साथ ही, उपर दिया हुआ चार्ट सभी राज्यों को एमएसएमई के माध्यम से अपने रूफटॉप सौर ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा करने के अवसर को दर्शाता है। प्रत्येक राज्य में एमएसएमई की संख्या और रूफटॉप स्पेस की 60% उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए, सौर लक्ष्यों को प्राप्त करने में एक बड़ा योगदान दिया जा सकता है| इसके अलावा, जागरूकता और क्षमता निर्माण समय की मांग है और इसे परिवर्तन देखने के लिए युद्ध स्तर पर लागू किया जाना चाहिए। इन आवंटनों से स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण की अग्रिम लागत को कम करना चाहिए, कर विराम के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने को प्रोत्साहित करना चाहिए, और स्वच्छ ऊर्जा बुनियादी ढांचे के पूंजीगत व्यय के आसान वित्तपोषण को सक्षम करना चाहिए।

सभी विचार व्यक्तिगत हैं।

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