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वर्षा आधारित कृषि पर निर्भर किसानों का सौर ऊर्जा सिंचाई सुविधा के जरिये सशक्तीकरण

सिंजेंटा फाउंडेशन (एसएफआई) और ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया फाउंडेशन (टीआरआईएफ) ने झारखण्ड के चोकेरबेडा में सिंचाई के लिये बारिश पर निर्भर रहने वाले लघु किसानों को सौर ऊर्जा से चलने वाली बारहमासी सिंचाई सुविधा के रूप में एक समाधान दिया है।

एक विश्लेषण के मुताबिक वर्ष 2019 के मध्य तक झारखण्ड के ज्यादातर हिस्सों में बारिश में सप्ताह-दर-सप्ताह 83 प्रतिशत तक की गिरावट हुई है।* चोकेरबेडा गांव झारखण्ड के रामगढ़ जिले के गोला ब्लॉक मुख्यालय से आठ किलोमीटर दूर स्थित है।

चोकेरबेडा गांव में रहने वाले 450 परिवारों में से ज्यादातर बेदिया जनजाति के हैं। वर्षा आधारित खेती ही इनकी रोजीरोटी का मुख्य माध्यम है। मगर इस गांव के किसानों के पास सिंचाई की कोई सुविधा नहीं है।

सिंजेंटा फाउंडेशन (एसएफआई) और ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया फाउंडेशन (टीआरआईएफ) ने वर्ष 2016 में इस गांव में एक सघन कृषि कार्यक्रम की शुरूआत की यह कार्यक्रम खेती के कारोबार पर केन्द्रित है। झारखण्ड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी और प्रदान नामक एनजीओ ने स्वयं सहायता समूह और ग्राम संगठनों का गठन किया और उन्हें प्रोत्साहन दिया।

जब इन प्रशिक्षित किसानों ने सघन कृषि की योजना बनाने का काम शुरू किया तब सिंचाई की सुनिश्चित सुविधा न होने की चुनौती उभरकर सामने आयी।

सूरज की रोशनी - सिंचाई की एक उम्मीद

किसानों को साल भर अपने खेतों की सिंचाई करने के लिए एक समाधान की जरूरत थी। हालांकि गांव के पास से ही एक बारहमासी सहायक नदी बहती है लेकिन उसका पानी काफी गहराई में है। इस वजह से उसे खींचना बहुत मुश्किल होता है। छोटे किसानों के लिए डीजल से चलने वाले पंप के जरिए इस नदी के पानी को खींचना बेहद खर्चीला काम है। उनके लिए सिंचाई पर इतना पैसा खर्च करना बहुत मुश्किल है।

यहां ग्रिड बिजली की गुणवत्ता और उपलब्धता का कोई भरोसा नहीं है। पंपिंग स्थल पर तो बिजली उपलब्ध ही नहीं है। हालांकि सूरज की रोशनी से चलने वाले सिंचाई सिस्टम के तौर पर एक विकल्प हमेशा मौजूद रहता है।

सौर ऊर्जा से पानी खींचना

प्रस्तावित सिंचाई क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए एक तकनीकी डिजाइन तैयार किया गया। इसमें 16 एकड़ क्षेत्र में स्थित 33 किसानों के खेतों के साथ-साथ उनकी कृषि योजना को भी शामिल किया गया। इसके लिए 5 किलो वाट सौर ऊर्जा से चलने वाले सरफेस वाटर पंप के साथ-साथ खेतों तक पानी ले जाने के लिए 5 आउटलेट, पीवीसी पाइप और कुछ अन्य चीजों की जरूरत थी। इस परियोजना में सक्रिय भागीदारी निभाने में मदद के लिए किसानों को प्रशिक्षण और मार्गदर्शन दिया गया।

वर्ष 2019 की गर्मियों के दौरान आने वाले महीनों में एक बार फिर बारिश की कमी की प्रबल आशंका के बीच इस सौर वाटर पंपिंग सिंचाई प्रणाली की स्थापना का काम पूरा हुआ।

एक फलदायक समाधान

मॉनसून के देर से आने के बावजूद इस नई और भरोसेमंद सिंचाई प्रणाली की वजह से किसानों को समय से धान की रोपाई करने का मौका मिला। किसान समय से अपनी फसल की कटाई कर सके और समय से पहले आलू की दूसरी फसल के लिए खेत भी तैयार कर पाए। ऐसा इसलिए संभव हुआ क्योंकि अब उनके पास रोजाना अपने खेतों की सिंचाई करने के लिए भरोसेमंद सुविधा उपलब्ध है। मॉनसून में देर होने के बावजूद ग्रामीणों को अपनी धान की फसल समय से पैदा करने का मौका मिला।

कुछ प्रगतिशील किसानों ने रांची और रामगढ़ के बाजारों में बेचने के लिए अधिक मूल्य वाली फसलों जैसे कि स्ट्रॉबेरी और बोक-चोई उगाने का फैसला किया।

सिंचाई सुविधा के लिए वित्तपोषण

एसएफआई और टीआरआईएफ ने किसानों के लिए एक फाइनेंसिंग मॉडल तैयार किया है। इसमें उन्हें परियोजना की लागत का 25% हिस्सा नकद के तौर पर देना होता है। इस पूरी परियोजना का कुल बजट करीब 675000 रुपये है। किसानों को इस उत्पादक संपत्ति में निवेश के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया और कुछ दौर की बैठकों के बाद वे अपनी योगदान राशि का भुगतान करने पर राजी हो गये हैं।

स्वयं सहायता समूहों और ग्राम संगठनों के पास मौजूद वित्तीय संसाधनों की मदद से किसानों को जरूरत के वक्त राशि उपलब्ध हुआ है। विक्रेता को राशि मिलते ही एक महीने के अंदर इस सिंचाई प्रणाली की स्थापना का काम पूरा कर दिया जाता है। परियोजना पर होने वाले खर्च का बाकी हिस्सा एसएफआई और श्नाइडर इलेक्ट्रिक के कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व कोष से मिलता है।

इन 33 में से अब कोई भी किसान नकद आमदनी के लिए शहरों की तरफ पलायन नहीं करता। वह अपने खेतों में आलू और सब्जी जैसी नकदी फसलें उगाते हैं। समुदाय के अंदर ही तकनीकी और विपणन संबंधी सहयोग मिलने से उन्हें अच्छी गुणवत्ता के उत्पाद हासिल होते हैं और वे अपने गांव से अन्य शहरों में ले जाकर उन्हें बेचते हैं। सौर ऊर्जा से चलने वाली यह सिंचाई प्रणाली किसानों को अतिरिक्त आमदनी उपलब्ध कराने में कामयाब रही है।

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